A K S Recites.....!!
मेरी कवितायेँ ...
Sunday, December 12, 2010
सोच...!!
जब जब मैंने ये सोचा की,
मैंने सब कुछ पा लिया,
तब तब मैंने खुद को हमेशा,
इस भीड़ में अकेला ही खड़ा पाया
पता नहीं कैसे खुश रहते हैं वो,
जिन लोगों ने इस दौड़ में सबको भुलाया
शायद कभी तो सोचेंगे वो,
की उन सब ने क्या खोया और क्या पाया|
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