Saturday, September 28, 2013

मुख और मुखौटे..!!


वो कहते है ना,
पानी के गहराई समझने के लिए पानी मैं उतरना पड़ता है,
ठीक वैसे ही,
चेहरों  की सच्चाई के लिए, इंसानों को जरा नीचे उतारना पड़ता है
समय का चक्र घूमता है और मुखौटे उतरते हैं, परत दर परत.
बस अपने चक्षु खुले रखो और बदलते हुए वक़्त का आनंद लो,
मुखोटे कभी नहीं बदलेंगे, अगर खुशकिस्मत रहे तो शायद कुछ नए चेहरे देख लो  ..!!

Thursday, February 21, 2013

सिफ़र से शिखर...!!

हर वो इन्सा जो आपके आस पास है,
शायद आप न समझें की वो कुछ ख़ास है,

सबकी अपनी इक अदा,
सबका अपना एक ख़ास अंदाज़ है,

हर इक मेहनतकश का,
एक पुख्ता और मजबूत विश्वास है,

आप इसे मानें या मानें,
सिफ़र से शिखर का सफ़र,

किसी की दी हुई भीख नहीं,
ना ही किसी की दया का मोहताज़ है,

किसी और की सोच का नहीं,
सिर्फ और सिर्फ हमारे अन्तर्मन का एहसास है |