Saturday, September 28, 2013

मुख और मुखौटे..!!


वो कहते है ना,
पानी के गहराई समझने के लिए पानी मैं उतरना पड़ता है,
ठीक वैसे ही,
चेहरों  की सच्चाई के लिए, इंसानों को जरा नीचे उतारना पड़ता है
समय का चक्र घूमता है और मुखौटे उतरते हैं, परत दर परत.
बस अपने चक्षु खुले रखो और बदलते हुए वक़्त का आनंद लो,
मुखोटे कभी नहीं बदलेंगे, अगर खुशकिस्मत रहे तो शायद कुछ नए चेहरे देख लो  ..!!

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