है आलम मुफलिसी का आजकल
की फुरकत को ही मिलती है इज्जत,
है न तो इमां और न है जमीर
औ खुदी को, खुदा भी हैं कहते बेगैरत |
जर्रे से जन्में, है मंजिल भी जर्रा
इन्सां औ इंसानियत, की न करते हैं परवा,
है पहुंचे सितारे भी गर्दिश मैं उनके
कभी जो कहलाये थे सर्वे सर्वा |
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