Saturday, December 29, 2012

रक्तबीज ..!!

क्या किसी एक को मिटा देने से,
मिट जायेगा इस ज़ेहन से

ये दर्द, अन्दर पलता गुस्सा,  यह खीज,
जब पल रहे हैं हर गली, हर कसबे में,
ऐसे कई रक्तबीज ..!

कौन बचाएगा जब हम पार करेंगे,
अपने अपने घरों की देहलीज़,
जहाँ हर तरफ फैले हैं,
ऐसे कई रक्तबीज ..!

क्यों आखिर क्यों,
हैं अब तक हर तरफ,
हैं रेंगते, किसी मौके की तलाश में,
इंसानियत के दामन के दाग,
ऐसे कई रक्तबीज ..!

Friday, August 17, 2012

आज....!!

इन सतपुड़ा  के जंगलों के बीच,
टप टप टपकती बूंदों में खड़े रह कर,

लगा शायद भूल चला हूँ,
वो दूर से आती हुई बारिश की आवाज़,
भीगे पत्तों पर बिखरी मुस्कराहट,
कल कल बहते झरनों का साज,


बदलते लगते हैं सबके कल और आज,
और अनजाना सा ज़िन्दगी जीने का अंदाज़ |

Sunday, January 29, 2012

रिश्ते..!!

आये यहाँ पर कुछ को साथ ले कर,
कुछ कमाए यहाँ आ कर,

हमेशा करते रहे उनको बचाने के कोशिश,
देते रहे हमेशा जो हमको एक कशिश,

अब सोचता हूँ, बचाऊँ उनको,
या खुद को उन से बचाऊं

रिश्ते ये जो मेरे पीछे चले,
या मैं चलूँ पीछे इनके,

या इन सब को भुला कर बस चलता ही जाऊं...!!