Friday, August 17, 2012

आज....!!

इन सतपुड़ा  के जंगलों के बीच,
टप टप टपकती बूंदों में खड़े रह कर,

लगा शायद भूल चला हूँ,
वो दूर से आती हुई बारिश की आवाज़,
भीगे पत्तों पर बिखरी मुस्कराहट,
कल कल बहते झरनों का साज,


बदलते लगते हैं सबके कल और आज,
और अनजाना सा ज़िन्दगी जीने का अंदाज़ |

No comments:

Post a Comment