Saturday, November 20, 2010

जब याद आता है..!!

बेगाने लगते हैं साथी सब जब याद आता है
की हम परिवार पीछे छोड़ आए हैं,

अच्छी नहीं लगती यह रफ़्तार जब याद आता है
की हम सबका साथ कहीं भूल आए हैं,

काटने को आती है उन्नति जब याद आता है
की हम नीयत कहीं भूल आए हैं,

क्या फायदा दिवाली के पटाखों का जब याद आता है
की हम किसी के दामन मैं सन्नाटा छोड़ आये हैं,

जलाती है हर बूँद बरसात की जब याद आता है
की हम किसी छत को टपकता हुआ छोड़ आये हैं,

बुरी लगती है इस घर की रंगो रंगत जब याद आता है
कि हम अपनी चौखट में एक टूटा किवाड़ा छोड़ आए है

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