हर वो इन्सा जो आपके आस पास है,
शायद आप न समझें की वो कुछ ख़ास है,
सबकी अपनी इक अदा,
सबका अपना एक ख़ास अंदाज़ है,
हर इक मेहनतकश का,
एक पुख्ता और मजबूत विश्वास है,
आप इसे मानें या मानें,
सिफ़र से शिखर का सफ़र,
किसी की दी हुई भीख नहीं,
ना ही किसी की दया का मोहताज़ है,
किसी और की सोच का नहीं,
सिर्फ और सिर्फ हमारे अन्तर्मन का एहसास है |
शायद आप न समझें की वो कुछ ख़ास है,
सबकी अपनी इक अदा,
सबका अपना एक ख़ास अंदाज़ है,
हर इक मेहनतकश का,
एक पुख्ता और मजबूत विश्वास है,
आप इसे मानें या मानें,
सिफ़र से शिखर का सफ़र,
किसी की दी हुई भीख नहीं,
ना ही किसी की दया का मोहताज़ है,
किसी और की सोच का नहीं,
सिर्फ और सिर्फ हमारे अन्तर्मन का एहसास है |
superb!!! simple still affective!! great piece..
ReplyDeleteAnother Inspiring thought.. :-)
ReplyDeletesimply said..but great impact..
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