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मेरी कवितायेँ ...
Monday, March 20, 2017
गौरैया..!!
वह थी मेरे बचपन की साथी,
वोह आती और चुहल लाती,
मेरे झरोखे पर थी रोज गुनगुनाती !
जाने कहाँ चली गयी और,
ले गयी मेरा बचपन अपने साथ !
आज भी मुझे है उसकी एक आहट का इंतज़ार,
शायद फिर मिले मुझे उसका प्यार !!
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