मेरी कवितायेँ ...
वो छत और वो आसमान खुला, वो दिन रात बहती ठंडी हवा,वो सतपुड़ा का घना जंगल, उस जंगल में प्रकृति का दंगल,वो बगीचे का अमरुद, जामुन और बेल का फल,वहां गुजारा हुआ बचपन और उससे जुड़े हुए सारे पल,आज बैठे हुए याद करता हूँ वो सब, आज कल हर पल |
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