मेरी कवितायेँ ...
बिखरा हुआ था बरसों से, आज जा कर सिमटा हूँ मैं तेरे दामन मैं,वो जो तेरी बिखरी जुल्फें थी, वही तो मेरा दायरा बन गयीं..!!
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