Friday, January 1, 2010

बूँदें..!!

कभी देखा है बूंदों को.
घर की छत से टपकते हुए
एक दुसरे से होड़ लगाते
खुद तो बड़ा साबित करने के लिए लड़ते हुए |

इंसान भी कुछ ऐसे ही होते हैं
साथ साथ रहते हुए, हँसते हुए
एक दुसरे से होड़ लगाते
खुद तो बड़ा साबित करने के लिए लड़ते हुए |

पर जरा उन बूंदों को ध्यान से तो देखो
चाहे कितना भी लड़ लें, झगड़ लें
जमीं पर आ कर फिर हिल मिल जाती हैं
हँसते हुए मुस्कुराते हुए |

क्या हम इंसान ऐसे नहीं हो सकते
क्यों नहीं रह सकते हम
सबसे हिल मिल के
हँसते हुए मुस्कुराते हुए |

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