सोचता हूँ कभी अगर ऐसा होता
जीवन में न कोई गम होता
सिर्फ उमंग, उत्साह होता...
पर अगर जीवन में न कोई दर्द होता
तो क्या ख़ुशी का कोई एहसास होता
क्या कभी उत्सव, उल्लास यथार्थ होता...
फिर न तो कुछ पाने के चाह होती
न ही कोई भी प्रयास होता
और न ही कोई विश्वास होता....
तो फिर क्या यह जीवन, जीवन सा होता ?
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