Friday, January 1, 2010

मिटटी..!!

यह मिटटी भी एक अजीब चीज है
हर जगह होती है, हर जगह पाई जाती है
चाहे कहीं भी मैं चला जाऊं तब भी
घर की मिटटी मुझसे नहीं भुलाई जाती है |

उस मिटटी की याद जो दिल में बसी है
उसकी खुशबू, वो उसकी रंगत
वो यादें और उसकी चाहत
मुझसे न की कभी, यह रुसवाई जाती है |

जाने कैसे दूर चले जाते हैं सब इससे
कैसे बना देते हैं पराया इसको
ना सोते, ना जागते,
मुझसे न यह कभी भी परायी, बनाई जाती है |

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